विकसीत चंद्रपुर, स्मार्ट सिटी बनाने जैसे घोषणा वाक्य से जनता को प्रभावीत तो किया गया है। लेकीन शहर की सबसे बडी समस्या जटपुरा जाम पर तो केवल दांवे और बैठक ही होती आयी है। चंद्रपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लेकर विधानसभा के लायक जन प्रतिनिधी तो जटपुरा पर पुरातत्व विभाग की बैठक लेकर समाधान के आदेश जारी करने तक ही सिमीत रहे है। केंद्रीय मंत्री पद से हंसराज अहीर, जिला पालकमंत्री पद से सुधीर मुनगंटीवार, विजय वडेट्टीवार, विधायक पद से किशोर जोरगेवार के प्रयासो का दांवा है। तो शहर के प्रतीष्ठीत नागरिकों व्दारा समस्या समाधान के लिए सुझाव भी दिए गए है। जिस पर बैठक लेने और अमल करने का दांवा रेकार्डो में ही दफन होकर रह गया है। ऐसे में सुबह 10 से रात 10 तक जटपुरा पर जाम की तस्वीर आम बनकर जिला सरकारी अस्पताल से गंभीर अवस्था में मरीज लेकर जाने वाली एंबुलंस भी जाम की शिकार होती आ रही है। बढती जन संख्या और जटपुरा जाम पर नेताओं के दांवे केवल वोटो की राजनीती का साबीत सत्य है। वही इसी जाम से निजात दिलाने के लिए कई बार जिला प्रशासन को जटपुरा गेट के अंदर से आंदोलन और रैली को अनुमती ना देने की मांग तक की गयी। लेकीन राजनीतीक वर्चस्व में जनता को जाम का उपहार देकर जटपुरा जाम तो चुनावी मुद्दा ही बनकर रह गया है। इस जाम समस्या को सुलझाने की बजाय दांवे और बैठक से जनता को भविष्य का पुरा ना होने वाला सपना ही दिखाया जा रहा है।