जिले के पर्यटन स्थलों के विकास की खोकली दांवेदारी

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चंद्रपुर जिले में विकसीत चंद्रपुर जिला बनाने का दांवा तो है। लेकीन एकमात्र ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प का ही विकास होकर प्राकृतीक स्थल और पुरातत्व कालीन धरोहरों का विकास हो नही पाया है। चंद्रपुर जिले में लगभग 15 पर्यटन स्थल तो है, लेकीन इनका विकास ना होने से रेकार्डो पर पर्यटन स्थल बनकर रह गए है। विशेष रूप से जिले में गोंडराजा कालीन किल्लों से लेकर दिवारे है। जिस में केवल चंद्रपुर की आराध्य दैवत माता महाकाली के परिसर विकास में 60 करोड की निधि मंजूर हुई है। तो बल्लारपुर, चंद्रपुर किल्ला, माणिकगढ किल्ला, अंचलेश्वर मंदीर, जुनोना तालाब और किल्ले की दिवारे है। जिन का विकास तो दुर सुधारणा कार्य भी लापता होकर रह गया है। देश के प्रधानमंत्री ने ईको प्रो की किल्ला स्वच्छता अभियान की सराहना की है। वही जिले में केवल ताडोबा को छोड कर अन्य पर्यटन स्थल पर सैलानीयों की उपस्थिती तक दर्ज नही हो पा रही है। राज्य के सांस्कृतिक मंत्री और जिला पालकमंत्री व्दारा पर्यटन स्थल का विकास करने से जिले में पर्यटन का महाविकास स्थल तो निर्मीत ही हो सकता है।

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