शराब दुकानदार और अधिकारी के बीच में घरबैठे रेकार्ड जांच का खेल

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चंद्रपुर तहसील में राज्य उत्पादन शुल्क के 3 विभाग है। वही इन्ही विभाग अंतर्गत 43 के लगभग बिअरबार होकर सुबह 6 से शराब पिलाने का काम चल रहा है। बिअर बार के मुख्य व्दार से लेकर छुपे दरवाजे से शराब पिने वालों को इंट्री देकर शराब दि जा रही है।वाईनशॉप, बार और बिअर शॉपी में शराब टीपी से आने के बाद क्षेत्रीय अधिकारी व्दारा शराब दुकान में जांच कर रेकार्ड पर मान्यता की मोहर लगायी जाती है। लेकीन चंद्रपुर शहर में तो अधिकारी घर बैठ कर शराब बिक्रेताओं व्दारा बनाए गए रेकार्ड की बिना जांच ही मान्यता मोहर देने का खेल चल रहा है। यह काम तो घर बैठे सुविधा देने और झोल कार्यो को सेटींग से दुध का धुला साबीत करने का ही है। जिस में सत्य की जिंदा मिसाल तो राज्य उत्पादन शुल्क विभाग व्दारा बंधनकारक सीसीटीवी कैमरे है। शहर अंतर्गत शराब दुकानों में आने वाली शराब और स्टॉक में अधिकारी की जांच के हस्ताक्षर और मोहर तो दुकान सर्वेक्षण दरम्यान ना होने का सत्य प्रत्येक शराब दुकान के सीसीटीवी कैमरों की रेकार्डींग जांच करने से साबीत हो सकती है। जिस से राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के जिला मुखीया ने इस मामले में तीनके भर की जांच करने से घर बैठक मान्यता के रेकार्ड भरने के बडे खेल का खुलासा तो हो ही सकता है। वैसे भी अधिकारी के कार्य तो मुखीया के संरक्षण में कार्यरत होकर सबका साथ सबका विकास ही हो रहा है। साथ ही वाईन शॉपी में वैसे तो केवल शराब बिक्री का ही अधिकार है। लेकीन वाईन शॉपी में ग्राहकों को बैठकर पिने की सहुलियत भी मिल रही है। साथ ही बिअर शॉपी में भी ग्राहकों को पिने के लिए सुविधा प्रदान की जा रही है। ऐसे में जब राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के नियमों की सरेआम धज्जीया अधिकारीयों की मिलिभगत से उड रही है तो इस पर भी वरिष्ठ अधिकारीयों की सुध ना लेना तो शासन के नियमों की पालनता में लापरवाही का ही सत्य है।

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